राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (गुरु दक्षिणा)

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (गुरु दक्षिणा)
संस्थापना
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना 27 सितंबर सन् १९२५ में विजयादशमी के दिन डॉ॰ केशव हेडगेवार द्वारा की गयी थी।
सबसे पहले ५० वर्ष बाद १९७५ में जब आपातकाल की घोषणा हुई तो तत्कालीन जनसंघ पर भी संघ के साथ प्रतिबंध लगा दिया गया। आपातकाल हटने के बाद जनसंघ का विलय जनता पार्टी में हुआ और केन्द्र में मोरारजी देसाई के प्रधानमन्त्रित्व में मिलीजुली सरकार बनी। १९७५ के बाद से धीरे-धीरे इस संगठन का राजनैतिक महत्व बढ़ता गया और इसकी परिणति भाजपा जैसे राजनैतिक दल के रूप में हुई जिसे आमतौर पर संघ की राजनैतिक शाखा के रूप में देखा जाता है। संघ की स्थापना के ७५ वर्ष बाद सन् २००० में प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एन०डी०ए० की मिलीजुली सरकार भारत की केन्द्रीय सत्ता पर आसीन हुई।
सरसंघचालक
डॉक्टर केशवराव बलिराम हेडगेवार उपाख्य डॉक्टरजी (१९२५ - १९४०)
माधव सदाशिवराव गोलवलकर उपाख्य गुरूजी (१९४० - १९७३)
मधुकर दत्तात्रय देवरस उपाख्य बालासाहेब देवरस (१९७३ - १९९३)
प्रोफ़ेसर राजेंद्र सिंह उपाख्य रज्जू भैया (१९९३ - २०००)
कृपाहल्ली सीतारमैया सुदर्शन उपाख्य सुदर्शनजी (२००० - २००९)
डॉ॰ मोहनराव मधुकरराव भागवत (२००९ -)
सम्बद्ध संगठन
संघ परिवार भी देखें
अनेक संगठन हैं जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से प्रेरित हैं और स्वयं को संघ परिवार के सदस्य बताते हैं।[15] अधिकांश मामलों में, इन संगठनों के शुरूआती वर्षों में इनके प्रारम्भ और प्रबन्धन हेतु प्रचारकों (संघ के पूर्णकालिक स्वयंसेवक) को नियुक्त किया जाता था।
संघ दुनिया के लगभग 80 से अधिक देशों में कार्यरत है। संघ के लगभग 50 से ज्यादा संगठन राष्ट्रीय ओर अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त है ओर लगभग 200 से अधिक संघठन क्षेत्रीय प्रभाव रखते हैं। जिसमे कुछ प्रमुख संगठन है जो संघ की विचारधारा को आधार मानकर राष्ट्र और सामाज के बीच सक्रिय है। जिनमे कुछ राष्ट्रवादी, सामाजिक, राजनैतिक, युवा वर्गों के बीच में कार्य करने वाले, शिक्षा के क्षेत्र में, सेवा के क्षेत्र में, सुरक्षा के क्षेत्र में, धर्म और संस्कृति के क्षेत्र में, संतो के बीच में, विदेशो में, अन्य कई क्षेत्रों में संघ परिवार के संघठन सक्रिय रहते हैं।
सम्बद्ध संगठनों में कुछ प्रमुख संगठन ये हैं -
भारतीय जनता पार्टी (भा० ज० पा०)
भारतीय किसान संघ
भारतीय मजदूर संघ
सेवा भारती
राष्ट्र सेविका समिति
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद
विश्व हिन्दू परिषद
हिन्दू स्वयंसेवक संघ
स्वदेशी जागरण मंच,
सरस्वती शिशु मंदिर
विद्या भारती
वनवासी कल्याण आश्रम
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच
बजरंग दल
लघु उद्योग भारती
भारतीय विचार केन्द्र
विश्व संवाद केन्द्र
राष्ट्रीय सिख संगत
हिन्दू जागरण मंच (हि० जा० म०)
विवेकानन्द के
गुरु दक्षिणा
यहां हम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में होने वाले गुरुदक्षिणा की बात करते हैं। संघ में गुरु परम पवित्र भगवा ध्वज को माना गया है क्योंकि भगवा रंग शांति व शक्ति का प्रतीक है। यह अग्नि का भी रंग है ,जो बुराइयों को जलाकर भस्म करने की क्षमता रखता है। शिवाजी महाराज ने भी अपने हिंदू साम्राज्य सेना का गठन किया था ,तो यह पताका उनके सेना का प्रतीक था। देवी देवता भी इस ध्वज के पवित्र सानिध्य में असुरों का नाश करते आए हैं।
जब संघ में गुरु की खोज की गई तो लोगों की अनेक राय थी इस व्यक्ति को गुरु बनाया जाए , उस व्यक्ति को गुरु बनाया जाए, किंतु विचार किया गया कि क्या गुरु में कोई कमी नहीं होती तो जवाब में संतुष्टि नहीं मिली। गुरु द्रोणाचार्य श्रेष्ठ गुरु थे किंतु अर्जुन को दिए गए आशीर्वाद के कारण एकलव्य से अंगूठा मांगना प्रश्नचिन्ह लगाता है। ऐसे में एक ऐसे गुरु की खोज की गई जिसमें कोई कमी ना हो ,वह पवित्र हो ,त्याग की भावना रखता हो ,बुराइयों को स्वयं समाप्त कर दे, ऐसे में परम पवित्र भगवा ध्वज को गुरु रुप में खोजा गया और उसे संघ में गुरू के रूप में स्वीकार किया गया।
सभी स्वयंसेवक वर्ष भर में 1 दिन अपने गुरु के दक्षिणा के रूप में अपनी श्रद्धा के अनुसार कुछ राशि परम पवित्र भगवा ध्वज को समर्पित करते हैं।
अब आप को यह जानने की उत्सुकता होगी कि यह राशि का उपयोग कहां किया जाता है। तो आपको पहले बता दें कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कोई भी शुल्क या चंदा किसी भी माध्यम से नहीं लेता। वर्ष में एक बार होने वाले गुरुदक्षिणा की राशि से ही पूरे वर्ष का खर्च चलता है।
मुख्य खर्चे इस प्रकार हैं –
2900 से ज्यादा प्रचारक का खर्च
अनाथ बच्चों का पालन-पोषण
आपदाओं में अग्रणी भूमिका
आदिवासी क्षेत्र में ग
रीब विद्यार्थियों की पढ़ाई कपड़े किताब आदि का खर्चा
स्कूलों की स्थापना करना
संस्कृति की रक्षा करना आदि मुख्य खर्च होते हैं।
देश में कहीं भी आपदा आती है तो संघ सरकार का इंतजार नहीं करती।
वह बिना किसी भेदभाव के की व्यक्ति किस धर्म समुदाय का है वह सहायता करती है।
यही कारण है कि संघ किसी भी आपदा में अग्रणी भूमिका निभाती है।
आशा है अब आपको संघ में आय- व्यय के स्रोतों का पता चल गया होगा ,गुरु दक्षिणा का महत्व पता चल गया होगा ,आशा है आप एक स्वयंसेवक की भांति जनकल्याण के लिए आगे बढ़ेंगे अपनी संस्कृति की रक्षा के लिए प्रयत्नशील रहेंगे।
अपनी निकटतम साखा के माध्यम से गुरु दक्षिणा की तिथि की जानकारी प्राप्त करके अन्य लोगो को भगवा ध्वज (गुरु ) को प्रणाम के लिए प्रेरित करे




भारत माता की जय

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