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Showing posts from November, 2020

आईये जाने प्रभु राम को- GLORY OF LORD RAMA

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  आईये जाने प्रभु राम को राम (रामचन्द्र) प्राचीन भारत में अवतार रूपी भगवान के रूप में मान्य हैं। हिन्दू धर्म में राम विष्णु के दस अवतारों में से सातवें अवतार हैं। राम का जीवनकाल एवं पराक्रम महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित संस्कृत महाकाव्य रामायण के रूप में वर्णित हुआ है। गोस्वामी तुलसीदास ने भी उनके जीवन पर केन्द्रित भक्तिभावपूर्ण सुप्रसिद्ध महाकाव्य श्री रामचरितमानस की रचना की है। इन दोनों के अतिरिक्त अनेक भारतीय भाषाओं में अनेक रामायणों की रचना हुई हैं, जो काफी प्रसिद्ध भी हैं। खास तौर पर उत्तर भारत में राम बहुत अधिक पूजनीय हैं और हिन्दुओं के आदर्श पुरुष हैं। राम, अयोध्या के राजा दशरथ और रानी कौशल्या के सबसे बड़े पुत्र थे। राम की पत्नी का नाम सीता था (जो लक्ष्मी का अवतार मानी जाती हैं) और इनके तीन भाई थे- लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न। हनुमान, भगवान राम के, सबसे बड़े भक्त माने जाते हैं। राम ने राक्षस जाति के लंका के राजा रावण का वध किया। राम की प्रतिष्ठा मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में है। राम ने मर्यादा के पालन के लिए राज्य, मित्र, माता पिता, यहाँ तक कि पत्नी का भी साथ छोड़ा। इनका परिवार आदर्श

HINDUISM NEVER DESTRYED AND DEFEATED

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  एक मुसलमान :- "हमने तुमपर एक हज़ार साल तक राज किया है और तुमको और तुम्हारी लड़कियों को गुलाम बना बनाकर रखा है " एक सनातनी :- " तुमने हमपर नहीं बल्कि अरबीयों और तुर्कीयों ने तुमपर राज किया है और तुमको मुसलमान बना लिया हम पर किया होता तो हम मुसलमान बन गए होते, क्योंकि मालिक अपने नौकर को जैसा चाहे वैसा बना लेता है तभी तुमलोग मुसलमान बन गए और हम नहीं बने बल्कि अपने सिर कटवाते रहे और काटते रहे, तुम ्हारे डरपोक हिन्दू पूर्वजों ने अपने सभी घुटने टेक दिये और अपनी लड़कियाँ मुसलमानों को दे देकर अपनी जान तक बचाई । तुम इन इन कारणों से मुसलमान बने :- (१) मुसलमान सैनिक लूट में आम लोगों की स्त्रीयाँ लूटते और आपस में बाँट लेते थे जिससे उनकी जो औलादें पैदा होतीं थीं वे सब समाज में यश तो पा नहीं सकती थीं और इसी कारण उनको मदरसों में भेजकर मुसलमान ही बनना पड़ता था । (२) मुसलमान बादशाह अय्याश होते थे । वे अपने लिये वैश्याघर बनवाते थे और लूट की औरतें रखते थे । जो बहादुरा होतीं थीं वे लड़ती थीं या जोहर करती थीं, लेकिन जो डरपोक होतीं थी वो बादशाह के हरम में जाना पसंद करतीं थीं । जिनके बच्चे प

BAJRANG DAL

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  एक बार समुद्री तूफ़ान के बाद हजारों लाखों मछलियाँ किनारे पर रेत पर तड़प तड़प कर मर रहीँ थीं ! इस भयानक स्थिति को देखकर पास में रहने वाले एक 6 वर्ष के बच्चे से रहा नहीं गया, और वह एक एक मछली उठा कर समुद्र में वापस फेकनें लगा ! यह देख कर उसकी माँ बोली, बेटा लाखों की संख्या में है , तू कितनों की जान बचाएगा ,यह सुनकर बच्चे ने अपनी स्पीड और बढ़ा दी, माँ फिर बोली बेटा रहनें दे कोई फ़र्क नहीं पड़ता ! बच्चा जोर जोर से रोने लगा और एक मछली को समुद्र में फेकतें हुए जोर से बोला माँ "इसको तो फ़र्क पड़ता है" दूसरी मछली को उठाता और फिर बोलता माँ "इसको तो फ़र्क पड़ता हैं" ! माँ ने बच्चे को सीने से लगा लिया ! हो सके तो लोगों को हमेशा होंसला और उम्मीद देनें की कोशिश करो, न जानें कब आपकी वजह से किसी की जिन्दगी बदल जाए! क्योंकि आपको कोई फ़र्क नहीं पड़ता पर "उसको तो फ़र्क पड़ता है"................. जय श्री राम सौरभ गुप्ता ( बजरंग दल)

"यौन अपराध" इस्लाम की देन है ! RAPE IS GIVEN BY ISLLAMIC CULTURE IN INDIA

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  इतिहास के अनुसार "यौन अपराध" इस्लाम की देन है ! यदि टाईम हो तो पढे अन्यथा खिसक ले ! अद्भूत लेख ~बलात्कार का आरंभ~ मुझे पता है 90 % बिना पढ़े ही निकल लेंगे आखिर भारत जैसे देवियों को पूजने वाले देश में बलात्कार की गन्दी मानसिकता कहाँ से आयी ~~ आखिर क्या बात है कि जब प्राचीन भारत के रामायण, महाभारत आदि लगभग सभी हिन्दू-ग्रंथ के उल्लेखों में अनेकों लड़ाईयाँ लड़ी और जीती गयीं, परन्तु विजेता सेना द्वारा किसी भी स्त्री का बलात्कार होने का जिक्र नहीं है। तब आखिर ऐसा क्या हो गया ?? कि आज के आधुनिक भारत में बलात्कार रोज की सामान्य बात बन कर रह गयी है ?? ~श्री राम ने लंका पर विजय प्राप्त की पर न ही उन्होंने और न उनकी सेना ने पराजित लंका की स्त्रियों को हाथ लगाया । ~महाभारत में पांडवों की जीत हुयी लाखों की संख्या में योद्धा मारे गए। पर किसी भी पांडव सैनिक ने किसी भी कौरव सेना की विधवा स्त्रियों को हाथ तक न लगाया । अब आते हैं ईसापूर्व इतिहास में~ 220-175 ईसापूर्व में यूनान के शासक "डेमेट्रियस प्रथम" ने भारत पर आक्रमण किया। 183 ईसापूर्व के लगभग उसने पंजाब को जीतकर साकल

ISLAM IS THE RELIGION OF ALL TERRIOST ------WHY

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WHY ALL TERRORIST BELONGS TO RELIGION KNOWN AS ISLLAM.   आतंकवाद की परिभाषा :- आतंक का अर्थ होता है घबराहट , डर , भय अब यदि आतंक के साथ वादी लगा दिया जाये तो वो आतंकवादी बन जाता है यानि भय का जन्म दाता , डर को बढ़ावा देने वाला लोगों में अपना डर पैदा करने वाला ही आतंकवादी कह लाता है निर्दोष लोगों की हत्या करने वाला आतंकवादी कहलाता है अब प्रश्न यह पैदा हो जाता है के आखिर मुसलमान ही आतंकवादी कैसे ?   आतंकवादी संगठन चाहे वो “ ISIS” हो  आतंकवादी संगठन चाहे वो” अल-कायदा” हो  आतंकवादी संगठन चाहे वो “ लश्कर-ए-तैयबा/पास्बां-ए-अहले हदीस” हो  आतंकवादी संगठन चाहे वो “ जैश-ए-मोहम्मद/तहरीक-ए-फुरकान” हो  आतंकवादी संगठन चाहे वो “ हरकत-उल-मुजाहिद्दीन/हरकत-उल-अंसार/हरकत-उल-जिहाद-ए-इस्लामी दीनदार अंजुमन” हो  आतंकवादी संगठन चाहे वो “ अल शबाब” हो  यह सब एक ही जाती के जानवर हैं जो मानवता जाती पर अत्याचार करना अपना कर्तव्य समझते है और इन जैसे सभी आतंकी संगठननो की एक ही विचार धारा होती है वो है के हम जो कर रहें हैं वही सत्य है हम जैसा करते है वो सही करते हैं। यदि इस्लाम आतंकवाद को बढ़ावा देता तो

पटाखो पर प्रतिबंध- Muslim introduce GUNPOWER in india (ISLAM IS THE NAME OF VIOLENCE)

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  भाईयो एक बार ध्यान से सोचने की जरूरत है दीपावली - दीप जलाने का उत्सव है (अपनी खुशी जाहिर करने का पर्व) सोचने का विसय है. हमारी संस्क्रति में पटाको का अतिक्रमण कब से प्रारंभ हुआ है (Gun powder was invented by China in 9th Century and it spred over India and rest of the world in 13th Century) and in start it is used for only national security personel only अभिप्राय- gun power in पटाको का उपयोग मुगल शासक भारत लाये by the simobolic use of तोप बारूद को हिंदू समाज में infiltrate bhi मुगल शासक ही लेकर आये और सायद दीपावली पर्व पर पटाके फोड़ना भी हमारे पैसे का मिस use करना भी हमने मुस्लिम से ही सीखा. मुसलमान अपने किसी पर्व पर पटाके फोड़ता है जरा सोचिये ----- उत्तर नही कारण - पहले ही अल्लाह के नाम पर बच्चे पैदा करने वाले (पंचर कौम) के पास अपने बच्चो को कपड़े और रोटी खिलाने में ही साल भर की कमाई लग जाती है वो जाहिल पटाके क्या फोड़ेंगे. दिवाली पर हमसे पटाके फुडवा कर अल्लाह के नेक बंदे अपनी साल भर की रोटी प्राप्त करते है और साल भर हमारा खा कर हमको ही आँख दिखाते गुर राते है) एक मुस्लिम मित्र ने

हम अंग्रेज़ो से आजादी की बात करते है ...लेकिन अंग्रेजो के कारन जो हिन्दू धर्म बचा .....उसको कब सोचेंगे .....

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क्या अँगरेज़ हिन्दू की रक्षा हेतु आये थे या दक्षिण भारतीयों ने अंग्रेज़ो को देश के बचे हुए हिन्दुओं को बचने के लिए बुलाया था . हम अंग्रेज़ो से आजादी की बात करते है ...लेकिन अंग्रेजो के कारन जो हिन्दू धर्म बचा .....उसको कब सोचेंगे ..... जानें पहली बार अंग्रेज कब और क्यों भारत आये थे 20 मई, 1498 को भारत के कालीकट बंदरगाह पर वास्को डी गामा (Vasco Da Gama) के आगमन के साथ ही यूरोप और पूर्वी देशों के बीच समुद्री मार्ग खुल गया था। इसी के साथ भारत यूरोपीय देशों के लिए सबसे प्रमुख व्यापारिक केंद्र बन गया और यूरोपीय देशों में यहां के मसालों के व्यापार पर एकाधिकार स्थापित करने की महत्वाकांक्षा बढ़ती चली गई, जिसके परिणामस्वरूप कई नौसैनिक युद्ध भी हुए थे। यहां हम भारतीय इतिहास से जुड़े उन तथ्यों का विवरण दे रहे हैं, जिससे आपको पता चलेगा कि पहली बार अंग्रेज कब और क्यों, भारतीय सरजमीं पर उतरे थे। ब्रिटिश ईस्ट कंपनी का गठन कैसे हुआ? दक्षिण व दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्रों के साथ व्यापार करने के लिए 1600 ई. में जॉन वाट्स और जॉर्ज व्हाईट द्वारा ब्रिटिश जॉइंट स्टॉक कंपनी, जिसे ईस्ट इंडिया कंपनी के

बजरंग दल अपने आदर्शो को कभी नहीं भूलता- प्रणव कुमार मुखर्जी

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  आदरणीय प्रणव दा (पूर्ण राष्टृपति)  प्रणव कुमार मुखर्जी (बांग्ला: প্রণবকুমার মুখোপাধ্যায়, जन्म: 11 दिसम्बर 1935, पश्चिम बंगाल-मृत्यु 31 अगस्त 2020 दिल्ली) भारत के तेरहवें राष्ट्रपति रह चुके हैं। ... उन्होंने 25 जुलाई 2012 को भारत के तेरहवें राष्ट्रपति के रूप में पद और गोपनीयता की शपथ ली। भारत रत्न भारत माता के यशश्वी पुत्र राष्टृ भक्ति के प्रतिक हम सबके दिलो में सदा जीवित रहेंगे और उनके आदर्श हम सबको प्रेरणा देंगे। एक सफल मार्ग दर्शक के रूप में वो आज हमेसा के लिए अमर हो गए। आप भारत वर्ष के महान पुरुष के रूप मैं सदा याद किये जायेंगे हमे आप पर गर्व है भारत माता की जय जय श्री राम

बजरंग दल अपने आदर्शो को कभी नहीं भूलता- प०पू०श्री गुरुजी

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  प०पू०श्री गुरुजी संघ के सरसंघचालक थे। सब लोग उन्हें संघ का सर्वेसर्वा मानते और कहते थे। पर उनके मन में ऐसा कोई अहंकार नहीं था।      एक बार इस संबंध में उन्होंने यह कथा सुनायी.......   एक व्यक्ति अपने ऊँट को लेकर कहीं जा रहा था। कुछ दूर चलने के बाद उसने ऊँट के गले में बंधी रस्सी छोड़ दी, फिर भी ऊँट अपने मार्ग पर ठीक से चलता रहा। रस्सी को जमीन पर घिसटता देखकर एक चूहा आया और वह उस रस्सी को पकड़कर ऊँट के साथ-साथ चलने लगा। थोड़ी देर बाद चूहे ने अहंकार से ऊँट की ओर देखा और कहा - तुम अपने को बहुत शक्तिशाली समझते हो; पर देखो, इस समय मैं तुम्हें खींचकर ले जा रहा हूँ। यह सुनकर ऊँट हँसा और उसने अपनी गर्दन को जरा सा हिलाया। ऐसा करते ही चूहा दूर जा पड़ा। यह कथा सुनाकर श्री गुरुजी ने कहा - ऐसे ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नामक अपना यह विशाल संगठन है। इसकी रस्सी का एक छोर पकड़कर यदि मैं यह कहूँ कि मैं इसे चला रहा हूँ, तो यह मेरा नहीं, चूहे जैसी क्षूद्र बुद्धि वाले किसी व्यक्ति का कथन होगा। वस्तुत: संघ सब स्वयंसेवकों की सामूहिक शक्ति से चल रहा है। आवश्यकता इस बात की है कि हम इसमें और अधिक बुद्धि और शक्ति

बजरंग दल अपने आदर्शो को कभी नहीं भूलता- संघ संचालक सुदर्शन जी

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अदर्णीय संघ संचालक सुदर्शन जी हमेसा भारत माता के वीर सपूतो मे अमरत्व को आज के दिन ही प्राप्त हुए। संघ विस्तार में आपका योगदान आपको महान बनाता है आप का कहना था हम संघ में जुड़े नये स्वम सेवक की चिंता करे परंतु इतना अवस्य ध्यान रखे की कोई पुराना स्वम सेवक हमसे कभी अलग न हो। स्वम सेवक ही एक मात्र संघ की ताकत है जो इस भारत माता का सच्चा सेवक बन सकता है। आपको सत् सत् नमन भारत माता की जय जय श्री राम  

बजरंग दल अपने आदर्शो को कभी नहीं भूलता- वल्लभभाई झावेरभाई पटेल

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  वल्लभभाई झावेरभाई पटेल (३१ अक्टूबर १८७५ – १५ दिसंबर १९५०), जीवन परिचय पटेल का जन्म नडियाद, गुजरात में एक लेवा पटेल(पाटीदार) जाति में हुआ था। वे झवेरभाई पटेल एवं लाडबा देवी की चौथी संतान थे। सोमाभाई, नरसीभाई और विट्टलभाई उनके अग्रज थे। उनकी शिक्षा मुख्यतः स्वाध्याय से ही हुई। लन्दन जाकर उन्होंने बैरिस्टर की पढाई की और वापस आकर अहमदाबाद में वकालत करने लगे। महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर उन्होने भारत के स्वतन्त्रता आन्दोलन में भाग लिया। जो सरदार पटेल के नाम से लोकप्रिय थे, एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे। उन्होंने भारत के पहले उप-प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। वे एक भारतीय अधिवक्ता और राजनेता थे, जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता और भारतीय गणराज्य के संस्थापक पिता थे जिन्होंने स्वतंत्रता के लिए देश के संघर्ष में अग्रणी भूमिका निभाई और एक एकीकृत, स्वतंत्र राष्ट्र में अपने एकीकरण का मार्गदर्शन किया। भारत और अन्य जगहों पर, उन्हें अक्सर हिंदी, उर्दू और फ़ारसी में सरदार कहा जाता था, जिसका अर्थ है "प्रमुख"। उन्होंने भारत के राजनीतिक एकीकरण और 1947 के भारत-पाकिस्त

बजरंग दल अपने आदर्शो को कभी नहीं भूलता - श्री अशोक सिंगल जी

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  श्री अशोक सिंगल जी (जन्म -१५ सितम्बर १९८० से आजीवन अमर बजरंगी ) बजरंग दल अपने आदर्शो को कभी नहीं भूलता सेवा सुरक्षा संस्कार सेवा - अशोक सिंघल जी का जन्म 15 सितम्बर 1926 को आगरा में हुआ था। उनके पिता एक सरकारी दफ्तर में कार्यरत थे। १९४२ में वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े।उन्होने १९५० में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (अब, आई आई टी) से धातुकर्म में इंजीनियरिंग पूरी की। इसके पश्चात इंजीनियर की नौकरी करने के बजाये उन्होंने समाज सेवा का मार्ग चुना और आगे चलकर आरएसएस के पूर्णकालिक प्रचारक बन गये। उन्होंने उत्तर प्रदेश और आस-पास की जगहों पर आरएसएस के लिये लंबे समय के लिये काम किया और फिर दिल्ली-हरियाणा में प्रांत प्रचारक बने। सुरक्षा - अशोक सिंघल जी ने हिन्दू धर्म की सुरक्षा हेतु अपना जीवन समर्पित किया। उन्होंने विश्व हिन्दू परिषद के काम में धर्म जागरण, सेवा, संस्कृत, परावर्तन, गोरक्षा , बजरंग दल आदि अनेक नये आयाम जोड़े ! इनमें सबसे महत्त्वपूर्ण है श्रीराम जन्मभूमि मंदिर आन्दोलन, जिससे परिषद का काम गाँव-गाँव तक पहुँच गया। इसने देश की सामाजिक और राजनीतिक दिशा

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (गुरु दक्षिणा)

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (गुरु दक्षिणा) संस्थापना राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना 27 सितंबर सन् १९२५ में विजयादशमी के दिन डॉ॰ केशव हेडगेवार द्वारा की गयी थी। सबसे पहले ५० वर्ष बाद १९७५ में जब आपातकाल की घोषणा हुई तो तत्कालीन जनसंघ पर भी संघ के साथ प्रतिबंध लगा दिया गया। आपातकाल हटने के बाद जनसंघ का विलय जनता पार्टी में हुआ और केन्द्र में मोरारजी देसाई के प्रधानमन्त्रित्व में मिलीजुली सरकार बनी। १९७५ के बाद से धीरे-धीरे इस संगठन का राजनैतिक महत्व बढ़ता गया और इसकी परिणति भाजपा जैसे राजनैतिक दल के रूप में हुई जिसे आमतौर पर संघ की राजनैतिक शाखा के रूप में देखा जाता है। संघ की स्थापना के ७५ वर्ष बाद सन् २००० में प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एन०डी०ए० की मिलीजुली सरकार भारत की केन्द्रीय सत्ता पर आसीन हुई। सरसंघचालक डॉक्टर केशवराव बलिराम हेडगेवार उपाख्य डॉक्टरजी (१९२५ - १९४०) माधव सदाशिवराव गोलवलकर उपाख्य गुरूजी (१९४० - १९७३) मधुकर दत्तात्रय देवरस उपाख्य बालासाहेब देवरस (१९७३ - १९९३) प्रोफ़ेसर राजेंद्र सिंह उपाख्य रज्जू भैया (१९९३ - २०००) कृपाहल्ली सीत